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सोमवार, 15 मई 2017

उम्मीद से ज्यादा है

ये मेरे लिए उम्मीद से ज्यादा है :) :)
 
अभी दो दिन पहले मैंने सच्ची आलोचना पर ये पंक्ति लिखी थी (सच्ची आलोचना सहना अच्छा लेखक बनने की दिशा में पहला कदम है)और आज उसका नमूना यहाँ उपस्थित है ........ऐसे की जाती है सच्ची आलोचना :

यश पब्लिकेशन से प्रकाशित "प्रश्नचिन्ह...आखिर क्यों?" पर Ashutosh Pandey द्वारा हर कविता पर उनके विचार उनके मुख से इस विडियो में सुनिए ......एक कवि हो या लेखक यही जानना चाहता है जो उसने कहा वो कितना पहुँचा और क्या अच्छाई या कमी रही ताकि आगे वो अपने लेखन में उसी के हिसाब से सुधार कर सके. अब ये उस पर निर्भर करता है वो प्रतिक्रिया को कितना सकारात्मक लेता है और कितना नकारात्मक




विडियो इस लिंक पर क्लिक करके सुन सकते हैं :

https://www.facebook.com/sushma.cheshta/videos/1432601016778647/

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