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रविवार, 27 अक्तूबर 2013

अब कभी मत कहना ………सब कुछ है

किसने कहा नहीं हूँ 
मैं तो वहीं हूँ हर पल 
जब जब तुमने 
अपने पुरज़ोर ख्यालों में 
मेरा आलिंगन किया , 
मुझे पुकारा और 
समय के सीने पर 
एक बोसा लिया 
कब और कहाँ दूर हूँ तुमसे 
सिर्फ़ शरीरों का होना ही तो होना नहीं होता जानाँ ………

जब ख्यालों की सरजमीं पर 
यादों की कोंपलें खिलखिलाती हों ,
हर लम्हे में एक तस्वीर मुस्काती हो, 
हर ज़र्रे ज़र्रे में महबूब की झलक नज़र आती हो 
वहाँ कौन किससे कब जुदा हुआ है 
ये तो बस अक्सों का परावर्तन हुआ है 

तुममें समायी मैं 
तुम्हारी आँखों से देखती हूँ कायनात के रंगों को , 
तुममें समायी मैं 
साँस लेती हूँ तुम्हारे ख्यालों के आवागमन से , 
तुममें समायी मैं 
धडकती हूँ बिना दिल के भी तुम्हारे रोम रोम में 
तो कहो भला कहाँ हूँ मैं जुदा ………तुमसे ! 

अब कभी मत कहना ………सब कुछ है …बस तुम ही नही हो कहीं 
क्योंकि 
तुम्हारा होना गवाह है मेरे होने का ……………. 

मोहब्बत में विरह की वेदी पर आस पास गिरी समिधा को कभी देखना गौर से……. 

6 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।
साझा करने के लिए धन्यवाद।

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

आपकी यह पोस्ट आज के २७ अक्टूबर, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

गहन अवलोकन..

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

bahut umdaa

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

bahut umdaa

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

sundar